नमस्कार।
इस समय देश के समक्ष जो चुनौतियां हैं, उनसे निपटने के लिए नए रास्ते तलाशने की जरूरत है। अन्य बातों के साथ-साथ यह भी बहुत जरूरी हो गया है कि देश की राजनीति को मूल्यों और मुद्दों की पटरी पर वापस लाने के लिये पहल की जाए तथा देश में भारतपरस्त और गरीबपरस्त राजनीति को उभारने के लिए जनमानस तैयार किया जाए।
आजकल देश में जो हालात हैं, उसमें राजसत्ता और थैलीशाहों के बीच एक अपवित्र गठजोड़ साफ दिखता है। इस कारण आम आदमी की जिंदगी दिनोदिन मुश्किल होती जा रही है। विपक्षी दलों से यह अपेक्षा थी कि वे सरकार की जनविरोधी नीतियों का विरोध करते हुए उस पर अंकुश रखेंगी। लेकिन ऐसा हो नहीं रहा। सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों अमीर परस्त और विदेश परस्त नीतियों को बढ़ावा देने में लगे हैं। ऐसे में देश की संपूर्ण सज्जन शक्ति के लिए जरूरी हो गया है कि वह आम आदमी के हक की लड़ाई लड़ने के लिए आगे आए।
इस लड़ाई का वैचारिक आधार तय करने की दृष्टि से यहां दो प्रारूप सभी के विचारार्थ प्रस्तुत हैं। इनके परिमार्जन तथा परिवर्धन में आप सभी सहभागी हों ऐसी विनती है। आप अधिकाधिक लोगों तक इन्हें पहुंचाने में सहायता करेंगे, ऐसा आग्रह भी है। संवाद की यह प्रक्रिया आज विजयदशमी (28 सितंबर 2009) से मकर संक्रांति (14 जनवरी 2010) तक चलेगी। प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात मनीषी दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि (11 फरवरी 2010) को संशोधित घोषणा पत्र जारी किया जायेगा।
कृपया अपने सुझाव मुझे इस ईमेल पर भेजें : draftmanifesto@gmail.com आप मुझे निम्न पते पर पत्र भेज कर भी सुझाव दे सकते हैं:
535, द्वितीय तल, डबल स्टोरी एरिया, न्यू राजेन्दर नगर, नई दिल्ली-110060
आप सभी से इस प्रक्रिया में सहभागी होने की विनम्र विनती के साथ।
के एऩ गोविन्दाचार्य
(दोनों प्राथमिक प्रारूपों को पढ़ने के लिये कृपया नीचे की लिंक को क्लिक करिये)
(Please click below links to read two primary drafts, proposed by K. N. Govindacharya)
Didn't really like feel like going through any national agenda by people justifying demolition of Babri Masjid in words and deeds
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